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शिव स्त्रोत (हिंदी)

    

विषैल     कंठ    है     जो    नील  रंग से भरा  हुआ।
विषैल    से    विषैल   दिग  भुजंग   से  भरा  हुआ।
जिनके    नेत्र   ज्वाल   से  विदिर्ण काम तम  हुआ
अखंड  सत्य  का  प्रतीक  चर अचर शिवम् हुआ।

वही  हैं  शिव  जो विष पिए थे स्वाद लेके चाव से।
वही  हैं  शिव  जो  दूर     हैं  अग्यम  धृष्ट   घाव  से।

उन्हीं   के   नेत्र  से धवल सृष्टि  भर   अलम्  हुआ।
जिसके  नेत्र  ज्वाल  से   विदिर्ण काम  तम  हुआ।
अखंड    सत्य  का प्रतीक चर अचर शिवम् हुआ।

वही   शिवम्  प्रमाण  हैं सती के   देह    दाह    का।
वही हैं शिव अथाह शक्ति,  ध्वंस   के  प्रवाह   का।

उन्हीं  के  गोद  में  प्रलय    खेल  निर–अहम् हुआ।
जिनके    नेत्र   ज्वाल   से  विदिर्ण काम तम हुआ।
अखंड  सत्य  का  प्रतीक  चर अचर शिवम् हुआ।

मृत्युवान सृष्टि        के    जो   जीव  से   हैं   खेलते।
सात सूर्य को श्वसन के    धार      से      हैं     ठेलते।

उन्हीं को योगी आत्मसात करके नित परम् हुआ।
जिनके  नेत्र   ज्वाल  से  विदिर्ण काम  तम  हुआ।
अखंड सत्य का प्रतीक चर   अचर  शिवम्  हुआ।

अलम्–पर्याप्त
निरहम्–अहम् मुक्त

©®दीपक झा रुद्रा

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13 Comments

Saba Rahman

26-Jul-2022 11:46 PM

Nice

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Khan

26-Jul-2022 10:57 PM

Nice

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shweta soni

26-Jul-2022 09:44 PM

Bahot sunder rachna

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